चुप्पी सबसे बड़ा खतरा है
जिन्दा आदमी के लिए तुम नहीं जानते वह कब तुम्हारे खिलाफ खड़ी हो जायेगी और सर्वाधिक सुनायी देगी
तुम देखते हो एक गलत बात और खामोश रहते हो
वे यही चाहते हैं और इसीलिए चुप्पी की तारीफ करते हैं
वे चुप्पी की तारीफ करते हैं लेकिन यह सच है
वे आवाज से बेतरह डरते हैं
इसीलिए बोलो
बोलो अपने हृदय की आवाज से आकाश की असमर्थ खामोशी को चीरते हुए
बोलो, नसों में बारूद, बारूद में धामाका
धामाके में राग और राग में रंग भरते हुए अपने सुर्ख खून का
भले ही कानों पर पहरे हों, जबानों पर ताले हों, भाषाएं बदल दी गयी हों रातों-रात
आवाज अगर सचमुच आवाज है तो दब नहीं सकती
वह सतत आजाद है।
'सवाल यह है कि क्या हमारी आवाज भी सचमुच आजाद है या उस पर निरंकुश सरकार और उसके तानाशाह अफसरों का पहरा है?
1 टिप्पणी:
bahut acchi baat likha hai aapne.sacmuch......... kaid me aajad,.........oh.
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