साभार,नई पीढ़ी
छात्र सड़क पर उतरे इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प़त्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किये जा रहे दोहरे व्यवहार का आक्रोष आखिरकार आज फूट ही पड़ा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पिछले 25 वर्षों सेचल रहे पत्रकारिता विभाग के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में अलग से एक और ‘मीडिया अध्ययन केन्द्र’ के माध्यम से नये व्यावसायिक संस्थान की स्थापना कर दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय का व्यावसायीकरण किये जाने के विरोध में एवं पहले से चल रहे पत्रकारिता विभाग के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार के विरोध में पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने परिसर में “शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्रों ने माथे पर काली पट्टी बांधकर व काले झंडे दिखाते हुए विश्वविद्यालय परिसर में मौन जुलूस निकाला। पत्रकारिता विभाग के शिक्षक सुनील उमराव की अगुवाई में छात्रों ने कला संकाय के डीन प्रो एनआर फारूकी एवं डीएस डब्ल्यू प्रो आरके सिंह सहित कुलपति प्रो आरजी हर्शे को ज्ञापन सौंपा एवं मीडिया अध्ययन केन्द्र के अंतर्गत “शुरू किए जा रहे स्ववित्त पोशित बी ए मीडिया अध्ययन कोर्स को समाप्त करने की मांग की। इस दौरान कुलपति से पत्रकारिता विभाग के अध्यापक सुनील उमराव और छात्रों की बातचीत भी हुई। जिसमें छात्रों की न्यायपूर्ण मांगो के प्रति कुलपति की प्रतिक्रिया पूरी तरह नकारात्मक रही और वार्ता के बीच ही कुलपति ने छात्रों की मांगो को अनावश्यक बताते हुए बातचीत करने से मना कर दिया। इससे नाराज छात्रों ने कुलपति सहित विश्वविद्यालय प्रशासन के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन विरोधी नारे लगाते हुए गांधी भवन की ओर प्रस्थान किया। छात्र-छात्राओं का भारी समूह विश्वविद्यालय में चलाये जा रहे स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों एवं शिक्षा के व्यावसायीकरण विरोधी तख्तियों को हाथो में लिए गांधी भवन पहुंचा, जहां सभी ने इस बात का संकल्प लिया कि जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी सभी मांगों को नहीं मानता तब तक छात्रों का, छात्रों के लिए और छात्रों द्वारा ही चलाया जा रहा यह आंदोलन जारी रहेगा।
ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)
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1 टिप्पणी:
in badhura students ko salam
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