ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)

रविवार, मई 10, 2009

मां के लिए

मां को याद करने का खास दिन बनाया गया है। हालांकि यह बहुत तार्किक नहीं है कि मां को किसी खास दिन ही याद किया जाय। बिगड़ती जीवन शैली का परिचय हैं ऐसे महोत्सव...फिर भी संतोष पाने के लिए कुछ तो सही है....हम में से कई हैं जो घर से बाहर चले आएं है रोजी-रोटी के खातिर...ठीक इसी तरह का मैं भी हूँ...और मुझे भी अपनी मां याद आती है....कुछ दिनों से पहले एक कविता बन पड़ी थी जिसे आज ब्लाग पर डाल रहा हूं..इस माफी के साथ कि मुझे मां के चूल्हे की याद तो आयी लेकिन रोटियां सेंकने से जले हाथों की जलन याद क्यों नहीं आयी...क्यों याद नहीं आया उसकी पीठ का दर्द जो बढ़ती उम्र ने उन्हें दिया था.....


अम्मा तेरी याद आयी,
कोरों पर थोड़ी सी नमी भी छलक आई,
जब देखा सामने रोटी सेंकती एक बूढ़ी माई,
कुछ तेरे जैसी ही सेंक रही थी रोटी वो,
बड़े लोए से छोटी-छोटी लोइयां बनाना,
पीढ़े पर घुमाकर गोल करना,
फिर पीढ़े पर पटकना,
रोटियां गोल,
बिल्कुल तुम्हारी सेंकी रोटियों की तरह।।

पता नहीं सुगंध कैसी थी,
क्योंकि मैं खड़ा था,
अपने किराए के कमरे की सबसे ऊपरी मंजिल पर,
और वह रोटियां सेंक रही थी,
जमीन पर उकडूं बैठ कर ।।
दिनों से खाना तो बहुत खाया अम्मा,
लेकिन नहीं सुनी यह आवाज-
भइया अऊर ले हव,
एक रोटी अउर लै लेव,
नहीं परोसा किसी ने आटा लगे हाथों से,
दाल या सब्जी,
नहीं मिली बहुत दिनों से तेरे,
चूल्हे से निकली आंच ।।
कितना दूर आ गया हूँ अम्मा,
चलते-चलते,
अब रो भी नहीं पाता हूँ अम्मा,
तुम्हें सामने न देखकर,
पहले कितना रोता था,
ऐंडियां रगड़-रगड़कर।।
शायद बड़ा हो गया हूँ,
इतना बड़ा कि छोटा पड़ने लगा हूँ,
अपने ही आंसुओं के लिए ।।।

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

ये हम जैसे अपने परिवार से दूर रहने वालों के दिल के ज़ज्बात है. आभार आपका.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति,
मातृ-दिवस की शुभ-कामनाएँ।

नवीन कुमार 'रणवीर' ने कहा…

मां का प्यार जो इस संसारिक मोह-माया से ऊपर है,मां जिसके आंचल की छांव में बरगद की छांव भी कम प्रतीत होती है,मां जिसके हृदय में करुणा,ममता और कठोर तप की अविरल धारा सदैव प्रावाहित रहती है,उसे तो रोज़ नमन करें उतना कम है,जो इस दुनिया में लाया,जिसनें अपना दूध पिलाया, उस मातृशक्ति को शत् शत् नमन्...

बेनामी ने कहा…

bahut khub bhai. rula diya aap ne.