ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)

मंगलवार, जून 10, 2008

तन्हाई बेहतर है ...........

तन्हाई बेहतर है किसी भीड़ मे खो जाने से...
कम से कम अपनी धड़कने तो सुनाई देती रहती हैं .....
अकेले होने का क्या गम .......
अपनी हथेली से माथे के पसीने को छू पाने जगह तो होती है.....

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