ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)
रविवार, मई 18, 2008
आज मैं भी बाहर निकला कि मौसम कैसा है
दिल्ली का मौसम बेहद सुहावन हो रहा था ....सोचा लोगों कीखुशी को क्यों न कैमरे मे कैद किया जाए ....इसी प्र्यद मे जब बाहर निकला तो कहानी काफी बदल चुकी थी ....नोयडा मे हुए दोहरे कत्ल की परते खोलने और उसे खबर बनाने का प्रयास जारी था .....इसी दौरान खबर आई कि कत्ल की गयी लडकी के माता पिता घर लौट आए हैं....लोग यानि मिडिया के लोगों जब जानना चाह तो उन लोगों ने कोई जबाब नही दिया। इस हत्याकांड ने न केवल नोयडा पुलिस की कलई खोल दी बल्कि लोगों की सुरक्षा के प्रयासों पर भी प्रश्न खडा कर दिया ....पछले दिनों से एनसी आर मे हो रही आपराधिक घटनाएँ इतनी तेजी से बढी है कि लगता जैसे सिस्टम कही सो रहा हो और या फ़िर वह ख़ुद ही मदद कर रहा हो इन अपराधियों की ....चाकुबाजी, महिलाओं पर तेजाब फेकना ,दिन दहाड़े लूटपाट जैसी घटनाएँ तो सामान्य जीवन का हिस्सा बनती जा रही हैं। जब दिल्ली मे लोगों का जीवन सेफ नही है तो राजधानी से दूर देश के अन्य इलाकों की बात ही क्या...
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2 टिप्पणियां:
safed kapde pahan lena se tum dono ke kaale karname chup nahi jayenge prabuddh gautam
ऋषि भाई सफ़ेद कपड़े पहन लेने से आपके और भुवन के काले कारनामे चुप नही सकते सालों कभी मिस कॉल ही कर दिया करो
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