ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)
मंगलवार, मार्च 11, 2008
२०२० और कलाम
कलाम ऐसे समय मे प्रेसिडेंट बनते है जब देश के एक राज्य मे अल्पसंख्यको के खिलाफ दंगे हो रहे थे .यानि देश मे एक खुश नुमा अहसास पैदा करने का प्रयास था उस समय की भाजपा सरकार का । वो आपने उपर लगे नर संघर के धब्बे को धोना चाहती थी और यह बताना चाहती थी की वो अल्पसंख्यको के हितों के खिलाफ नही है। कलाम एक विज्ञानी होने के कारन एस ट्रैप मे फसते चले गए । वे देश को सपने बेचने के उपक्रम का धंधा करने लगे जबकि ७० फीसदी जनता भूख मरी की शिकार है । रोजाना २० रूपये से कम की कमाईपर जी रही है । अब सोचिये की २०२० तक कैसे और किस तरह से विकसित हो जायेंगे.जब पिछले ६० सालों मे दो जून की रोटी मुहैया नही कर पाएं हैं।
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