ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)

शुक्रवार, जनवरी 25, 2008

समाचार की नैतिकता

पिछले कुछ दिनों से हम लोग अख़बार निकाल रहे हैं ! शायद ही किसी ने इमानदारी से रिपोर्टिंग की हो ! लेकिन अखबार तो सभी ने निकाले हैं ! दरअसल यही बात चामडिया सर ने जनसत्ता कि एक खबर को समझाते हुए यह बताया था कि जब आप बिना मेहनत के खबर बनाना चाहेंगे तो उसकी तथ्य क्षमता घटेगी और वह सतही हो जाएगा ! जनसत्ता कि खबर मे एंट्रो को ही अन्तिम पैराग्राफ मे लिखा गया था ! ६ सितम्बर कि खबर मे एक अध्यापक का परिचय दिया गया था! लगभग हर पैरा मे उसके बिक्लांग होने का जिक्र था ! यह जगह भरने कि कवायद के सिवाय कुछ नही था ! आज अधिकास अखबारों मे यही हो रहा है!यही बात है कि अगर जानकारी सही,सटीक और पोरी चाहिऐ हो अंग्रेजी का पेपर पड़ना ही पडेगा ! हिन्दी पत्रकारिता मे कम ही लोग है जो लिखने से पहले तेइयारी करते हैं !खबरों को जब तक लिखने के लिए लिखा जाएगा यह स्थित नही बदलेगी!आशा है कि इसे लिखने के बाद मे इस कमी से बच सकूँगा और आप भी कुछ सोचेंगे !

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