जामिया में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठै छात्रों को वीसी नजीब जंग के इशारे पर पुलिस और जामिया प्रशासन ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। मास कम्युनिकेशन के ये छात्र परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड न दिए जाने के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठे थे। कल शाम से भूख हड़ताल पर बैठे इन छात्रों का दोष सिर्फ इतना था कि उन्होने कुलपति के खिलाफ नारेबाजी की थी। मास कम्युनिकेशन के 12 छात्रों को कम उपस्थिति का बहाना बनाकर एडमिट कार्ड देने से मना कर दिया गया था। आज शाम ये छात्र विश्वविद्यालय परिसर के बाहर शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। धरने से किसी भी तरह की दिक्कत नहीं पैदा हो रही थी सिवाय इसके कि कुलपति की तानाशाही को चुनौती मिल रही थी। पुलिस ने बिना किसी नोटिस और चेतावनी के छात्रों को बर्बर तरीके से पीटा और उनके सामान को फेंक दिया। पुलिसवालों ने धरने पर बैठी छात्राओं से भी बदसलूकी की और उन्हें भी पीटा। इसके बाद पुलिस ने सभी आंदोलनरत छात्रों को जामिया थाने में बंद कर दिया। इन छात्रों को किस आरोप में बंद किया गया है पुलिसवालों ने ये बताने की जहमत भी नहीं उठाई। पूरे मामले पर जर्नलिस्ट यूनियन फार सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) के शाहआलम ने जामिया नगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ के खिलाफ एसीपी के पास शिकायत दर्ज कराई है। जेयूसीएस ने अपनी शिकायत में धरने पर बैठे छात्रों के खिलाफ बल प्रयोग किये जाने का विरोध किया है।
ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)
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1 टिप्पणी:
छात्रों की तो कभी कोई गलती नहीं होती| यह तो एक ऐसा वर्ग है जो बड़ा ही भोला और निर्दोष होता है| हाँ, कुलपति तानाशाह हो सकते हैं, पुलिस बर्बर हो सकती है लेकिन छात्र वो कुछ नहीं कर सकता| वो तो बेचारा ऐसे ही पढाई के बोझ टेल इतना दबा होता है, ये शिक्षकवर्ग उसे और परेशान करता है| छात्र अनुपस्थित नहीं होते, बेचारों की आँख ही नहीं खुलती रात भर पढाई करने के बाद| अब इसके बाद भी अगर उन्हें परीक्षा में बैठने से रोका जाये तो ये तो बड़ी ज्यादती है साहब!
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