कृष्ण प्रताप सिंह का आर्टिकल भेजने पर मिला जवाब...
Rishi ji, mujhe yaad nahin hai ki maine aapke ya apke doosre mitron ke mahan aur amulya vichar padhne ke liye apse koee anurodh kiya tha.... Kyonki nahin kiya tha, to kripaya aap mere mail box men apne krantikari vicharon se SPAM na badhayen..
Apse anurodh hai ki apne addresses men se mera mail ID delete kar den..
आप सभी लोगों से निवेदन है कि इसे पढ़े यहां क्लिक करें और बतायें कि इस आर्टिकल में ऐसा क्या है...कि जवाब देने के लिए इस तरह की व्यंग्यात्मक शैली का इस्तेमाल किया जाये। लेख को कहीं से भी पत्रकारों के लिए कोई घूंटी नहीं बताया गया था और यह भी नहीं कहा गया था कि जब तक नहीं पढ़ेगा पत्रकार नहीं कहलायेगा। हां,अनचाहे मेल की शिकायत अपनी जगह है उसके लिए मॉफी मांगी जा सकती है।
भुवन भास्कर ने मुझे और मेरे मित्रों को ऐसा जवाब क्यों दिया...इसका जवाब उनका ब्लॉग खुद दे देता है...आप भी पढ़ें-http://bhadesbharat.blogspot.com/
ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)
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