ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)
रविवार, अक्तूबर 26, 2008
आज की रात.....
रात के ११ बजे राजीव का फोन आया कि उनके भाई साहब(विनोद यादव,09452411060) जो कि २४ की सुबह लखनऊ पहुंचे हैं। ३० घण्टे से ज्यादा समय हो चुका है उनका मोबाईल स्विच ऑफ जा रहा है...लखनऊ पहुंचने तक बात होती रही है...भाभी इस समय मायके में हैं...घर पर पिता अकेले हैं...डर का कारण साफ है क्यों कि न तो उनका मोबाइल लग रहा है और न उनके साथ गए (09307107323)सरफराज का। उनके साथ दो लोग हैं जिनके बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिल रही है......कैफियत ट्रेन में जिस तरह से आजमगढ़ के राशिद और असफर जमाल को नाम जानने के बाद तंग किया गया...उससे कई आशंकाओं को बल मिलता है...इस सिलसिले देर रात तक आजमगढ़ डीएम सहित वहां के डीआईजी,एसएसपी लखनऊ,आई जी एटीएफ और एसपीसिटी लखनऊ से बात होती रही। सभी ने इन लोगों से जुड़ी किसी भी सूचना से इंकार किया है॥।हालांकि डीएम आजमगढ,एसएसपी लखनऊ और एसपी सिटी लखनऊ सहित सभी अधिकारियों ने मदद का पूरा आश्वासन दिया है। इस मुद्दे पर देर रात लखनऊ में पंकज से बात होती रही,वह भी अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है। लेकिन दुख होता कि आज हम घर से निकलने वाले किसी भी शख्स की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत नहीं रह सकते है। खास कर जब आप किसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत न्याय के संघर्ष कर रहे हों। विनोद और सरफराज दोनों लोग मानवाधिकार संगठन पीयूएचआर से जुड़े हैं। दरअसल पीयूएचआर इस समय उत्तर प्रदेश में एटीएफ और एसटीएफ की कई कारगुजारियों को उजागर कर चुका है। ऐसे में इन्हें निशाने पर लिए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के इन आला अधिकारियों से बात चीत के दौरान यह बात उभर कर सामने आई कि सामान्य पुलिस का स्पेशल फोर्स के साथ कोई तालमेल नहीं है। यानि उत्तर प्रदेश की पुलिस का एटीएफ और एसटीएफ से कोई सीधे संपर्क नहीं है। हालांकि इस मुद्दे पर आई जी एटीएफ से भी संपर्क साधा गया लेकिन उन्होंने किसी भी सूचना से इन्कार किया है। अब सुबह होने का इंतजार है....ताकि एसएसपी लखनऊ से बात की जा सके क्योंकि उन्होंने १२ बजे तक कॉल ट्रेस कर जानकारी जुटाने का आश्वासन दे रखा है....रात के तीन बजे एक ट्रेन के आजमगढ़ पहुंचती है इससे वे लोग घर न पहुंच रहे हों...इस संभावना के चलते भी सुबह का इंतजार किया जा रहा है...
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