ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)

गुरुवार, अक्तूबर 02, 2008

आखिरी सलाम.....

25 वर्षीय युवा पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या काफी दुखद है। यह हत्या राजधानी के सुरक्षा इंतजामों पर कई प्रश्न खड़े करती है। देश की राजधानी में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं तो देश के सुदूर इलाकों महिलाओं की सुरक्षा की बात बेईमानी सी जान पड़ती है। महिलाओं से जुड़े अपराधों के लगातार होने के बावजूद पुलिस ने कोई खास कदम नहीं उठाए। जैसे कि खबरें आ रही हैं कि एक रिक्शा चालक ने पुलिस को फोन कर सड़क दुर्घटना की जानकारी दी थी। जबकि देर रात पुलिस की पेट्रोलिंग वैन कहां का दौरा कर रही थी। बसंत कुंज इलाके में साढ़े तीन बजे ऐसा कोई ट्रैफिक नहीं रहता। अगर जरा सी सावधानी रखी जाए हर आने जाने वाली गाड़ियों पर नजर न रखी जा सकती है। गौरतलब है कि बसंत कुंज जाने वाला रास्ता काफी सुनसान सा रहता है। दरअसल दिल्ली पुलिस इतनी लापरवाह हो चुकी है कि इस पर चाहे आतंक से सबक सीखने की जिम्मेदारी हो या महिलाओं की सुरक्षा के लिए चौकस रहने की बात,अब कोई असर नहीं पड़ता। रही दोषियों को सजा दिलाने की बात तो इस देश की पुलिस को जिस तरीके भर्ती किया जाता है और प्रशिक्षण दिया जाता है,उसके बल पर यह सिर्फ कहानियां सुनाकर झूठे मुजरिमों को पैदा कर सकती है। 1861 के मैन्युअल के आधार पर गठित भारतीय पुलिस बदलते समाज की जरूरतें पूरी नहीं कर सकती है। यही कारण है कि पुलिस से दोषी छूटते हैं और ऐसे दोषी अपने पीछे कई लोगों को वैसा ही अपराध करने के लिए प्रेरित करते हैं। पुलिस जांच के दौरान कितनी मुस्तैदी दिखाती है,दोषियों को सजा मिलने के साथ ही तय हो पाएगा। भले ही इस देश ने महिला राष्ट्रपति तो चुन लिया हो,चांद पर पहुंचने की तैयारी में हो लेकिन यह देश की अपनी आधी आबादी को सुरक्षित जीवन देने में नाकाम रहा है।
पनिहारन की तरफ से अपने इस युवा पत्रकार के खोने पर शोक व्यक्त करता हूँ। और न्याय दिलाने के लिए संघर्ष का साथी बनने का भरोसा दिलाता हूँ।


2 टिप्‍पणियां:

hemant ने कहा…

Bat kewal mahilau ki suraksh ki nahi bat sabhi citizens ki hi...

मणेन्द्र कुमार मिश्रा "मशाल" ने कहा…

poolish ko har ghatna ke liye jimmedar nahi thra sakte. kisi bhi vyavastha ke kai pahloo ho sakte hai. media ke visay me kyo baat nahi karte. watch dog ki bhumika me media ki vifalta ne kai samsyaye paida ki hai......khair aap leftist ko to vyavastha virodh ki aadat ho gayi hai...