जब से यह चैनल शुरू हुआ है मैं इस चैनल के नाम को लेकर काफी सोचता रहता हूँ..यही कि इस नाम को रखने वालों ने नाम को सही ठहराने के लिए क्या-क्या तर्क तैयार किये होंगे...कुछ ऐसे...कि महिलाओं की आँखे बिल्लोरी होती हैं...या कैटवाक करती महिलाऐं लोगों(खासकर पुरुषों) के मन को लुभाती हैं...इस तरह के ही कुछ और तर्क होंगे...पर शायद इन्हें मैं अभी सोच नहीं पा रहा हूँ....जो कुछ सोच पा रहा हूँ तो यह कि महिलाओं के सशक्तीकरण के दौर में ऐसे नाम कितने सकारात्मक हैं....अगर संजीदा तरीके से महिलाओं और बिल्लियों के जीवन की तुलना करें तो बात दूर तलक जाती नज़र आएगी.......जैसे-भीगी बिल्ली,आज दिल्ली के किसी भी जगह पर खड़े हो जाएं..वहां से गुजरने वाली सभी महिलाएं भीगी बिल्ली सी डरी-डरी नज़र आती हैं.....सोचिए कि हम 21वीं सदी में जीने का दावा कर रहें हैं...और महिलाओं के अधिकारों की चिन्ता में गले जा रहे हैं..लेकिन उन्हें सुरक्षित माहौल नहीं दे पा रहे हैं...एक और उदाहरण जैसे बिल्लियों को नोंच खाने के लिए पीछे पड़े गली के कुत्ते और म्याऊँ-म्याऊँ कर भागती बिल्लियां.....दिल्ली क्या पूरे देश में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाऐं भी ऐसी ही हैं... गली हो या घर हर जगह आवारा कुत्तों की फितरत वाले कथित पुरुषों की घूरती निगाहें ...यह और बात है कि इस चैनल पर महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाए जाते हैं और उनको लेकर संजीदगी भी दिखाई जाती है...लेकिन हैलो कि जगह बार-बार म्याऊँ-म्याऊँ बोलती रेडियो जॉकी महिलाएं सशक्तीकरण की नहीं बल्कि महिलाओं को बिल्ली जैसी कमजोर स्थिति में दिखाती है..दरअसल शब्द केवल शब्द ही नहीं होते बल्कि उनका सामाजिक और राजनीतिक चरित्र होता है..म्याऊँ जैसा शब्द जिस तरह से और जिन संदर्भों में प्रयोग किया गया वह पहले वुमेन चैनल के चरित्र और प्रयास के साथ ठीक नहीं बैठता है..यहीं पर हलके होने का एहसास होने लगता है...........
ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)
गुरुवार, जून 12, 2008
म्याऊँ एफएम चैनल...भारत का पहला वुमन एफएम चैनल...ओनली फॉर वुमन
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1 टिप्पणी:
ek aur kahavat hai... khisiyani billi khamba noche.... yahan bhi mahilaon ko jindi ki daur main purush ke saath kandhe se kandha mila kar chalna chahte hain... par kahi na kahi jab khud ko thaga mahsus karti hain to ye kahavat bilkul thik beth ti hai...
vaise ek aur tarah ki billi hoti hai jo apni chaturai ke liye mashhur hai .....
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