ॠषि कुमार सिंह॥ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली। "घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है। बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।"(अदम गोंडवी)

मंगलवार, मई 27, 2008

आईटीसी का मुनाफा

आज के पेपर मे पढा कि भारत की शीर्ष तम्बाकू उत्पादक कम्पनी ने पिछले वर्ष की तुलना मे इस वर्ष १६ फीसदी मुनाफा कमाया है । एक तम्बाकू कम्पनी का बड़ता मुनाता किसी भी तरह से देश के स्वास्थ्य के लिए बेहतर नही हो सकता। कर्ण साफ है ऐसी कम्पनियों के उत्पाद का सबसे बडा उपभोक्ता आज की पीढ़ी का युवा है जो अब विन्दास हो सिगरेट पी रहा है। जाहिर है की उसका स्वास्थ्य प्रभवित होगा जिसे न तो वो समझ रहा और न ये सरकार जो की युवाओं की भलाई के नारे भरती है। आज सुबह जब मैं अपने मकान से निकल रहा था तो मुझे सिरियों से सटे कमरे से सिगरेट की धुंध निकलती सी दिखाई दी । उस कमरे मे मेरी ही उम्र के लोग रहते हैं। सोचकर लगा कि यही तो आईटीसी के असली ग्राहक हैं जो कि अपना जिगर जला कर कम्पनियों कि तिजोरियाँ भर रहे हैं। मेरे साथियों मे ऐसे बहुत है जो कि ज्याद तेज इसलिए नही चल पाते क्योंकि वे कमजोर हैं । लेकिन सिगरेट पीने मे उस्तादी दिखाते हैं जैसे कोई महान काम कर रहे हो और जो नही पीते हैं उनको अचरज से देखते हैं । ऐसे भी साथी है जो सिगरेट पीने बाद काफी परेशानी भी महसूस करते लेकिन पीना नही छोड़ते हैं।ये लिखावट उन तमाम लोगों के लिए है जो सिगरेट से समस्या महसूस करते हैं । उनसे मेरी गुजारिश है कि वे मेरी बात को समझे और सिगरेट छोड़ने को गम्भीरता से ले।

2 टिप्‍पणियां:

विजय प्रताप ने कहा…

साथी ! कहीं ये कमेन्ट मेरे लिए तो नहीं हैं? आइन्दा आपके सामने सिगरेट पीने से बचने की कोशिश करूँगा. आपने ब्लॉग पर लिखने की अनुमति तो भेजो.

Unknown ने कहा…

Rishi bhai Namaste
Aap ki likhi post padhi mai aapki baat se birkul shamt hoon ki aaj ka youaa sir fashion ke liye isse dhuen rupi jaher ko pe raha hai. aap to jante hai ki mai bhi smoking ka dewan hoon per aapki blog ke post phedne ke baad ab mai kosis krugan ki sigratepena chod do.